Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Nov-2023 वक्त

आदर्शवादी होने के बावजूद बीरबल अपने दोनों बेटों से दुखी था, क्योंकि उसका बड़ा बेटा रामजी लाल हद से ज्यादा कंजूस था और छोटा बेटा महेंद्र हद से ज्यादा आलसी था, और सबसे बड़ी बात दोनों की नजरों में समय का कोई मूल्य नहीं था रामजी लाल तीन बेटियों का पिता था। 


आलसी महेंद्र छोटा होने के बावजूद चार बेटों का पिता था महेंद्र ने जल्दी-जल्दी चार बच्चे इसलिए पैदा किए थे कि उसकी यह सोच थी कि जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा होंगे तो जल्दी जवान भी हो जाएंगे और एक बेटा ₹100 कमाकर लाएगे तो चार बेटों के ₹400 घर में आएंगे और मैं सुख आराम से घर पर रहूंगा।

और रामजी लाल बेटियों के जन्म की वजह से पहले से ज्यादा कंजूस हो गया था, उसे रात दिन यह चिंता सताती रहती थी कि चार बेटियों की शादियों में इतना धन खर्च हो जाएगा कि मैं और मेरी पत्नी बुढ़ापे में दूसरों के मोहताज हो जाएंगे, इसलिए रामजी लाल एक भी रुपया खर्च नहीं करता था, वह अपनी परचून की दुकान या कहीं और भी जाता था तो पैदल ही आता जाता था और उसने अपनी दुकान में नौकर भी नहीं रख रखा था क्योंकि नौकर को उसे हर महीने में तनख्वाह देनी पड़ती।

बीरबल की नजरों में समय कि बहुत कीमत थी, उसके दोनों बेटों की नजरों में समय की कोई कीमत नहीं थी एक पैदल चलने में अपना सारा समय बर्बाद कर देता था और दूसरा दिन रात आराम करके बीरबल दोनों बेटों को समय की कीमत समझ समझ कर थक चुका था, इसलिए अपने दोनों बेटों को समय कि कीमत समझने की अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक योजना बनाता है।

और दोनों बेटों को बुलाकर कहता है "तुम दोनों को मैंने आज तक नहीं बताया कि तुम्हारी मां के पास हमारे पूर्वजों का दिया हुआ नौलखा हार रखा हुआ है।

तुम्हारी मां और मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था की यह नौलखा हार बड़े बेटे की बहू को दिया जाए या छोटे बेटे की बहू को इसलिए हम दोनों पति-पत्नी ने मिलकर इस समस्या का हल खोजा है कि छ महीने महेंद्र रामजी लाल की परचून की दुकान को चलाएगा और दुकान से जो भी आमदनी होगी वह सारे रुपए खुद रखेगा।

"और रामजी लाल को महेंद्र के चारों बेटे फसल बेचकर जो भी कामाएंगे वह रामजी लाल को देंगे और दोनों में जिसने भी हमारा कहना नहीं माना हम उसकी पत्नी को नौलखा हार नहीं देंगे।"

अपने माता-पिता की यह शर्त दोनों बेटों को बेतूकी लगती है लेकिन वह नौलखे के हार के लालच में अपने पिता की इस शर्त को कबूल कर लेते हैं।

महेंद्र आलसी था इसलिए वह परचून की दुकान पर पैदल जाने की जगह गांव के रोड से बस टेंपो रिक्शा आदि में बैठकर जाता था।

दुकान पर समय पर पहुंचने की वजह से वह समय से दुकान खोलता बंद करता था, इसलिए समय पर दुकान खुलने और बंद होने से दुकान की आमदनी बड़ जाती है और अपने आलसीपन की वजह से दुकान में नौकर रखने से अब उसे दुकान बंद करके दूर थोक बाजार से दुकान का सामान लाने का कष्ट भी नही सहना पड़ता था लेकिन उसके इससे आलसीपन से दुकान की आमदनी और बढ़ जाती है क्योंकि अब दुकान में सामान न होने की वजह से कोई ग्राहक वापस लौटकर नहीं जाता था।

दूसरी तरफ रामजी लाल का घर पर पड़े पड़े समय नहीं कटता था रामजी लाल कंजूस था, लेकिन वह मेहनती था और वह पैदल चल-चल कर और मेहनती हो गया था इसलिए वह अपने चारों भतीजो के साथ खेत पर उनके साथ मेहनत करने लगता है क्योंकि उसे यह भी पता था फसल अच्छी होगी तो पैसे तो उसी की जेब में आएंगे और चार की जगह पांच लोगों के साथ में मेहनत करने की वजह से फसल बहुत अच्छी होती है क्योंकि उसके चारों भतीजे भी पहले से ज्यादा मेहनत करते हैं कि पिता जी तो हमें अपनी आमदनी का जरिया समझते थे, लेकिन ताऊजी हमारे साथ अच्छी फसल के लिए बराबर की मेहनत कर रहे हैं हमें अपना बच्चा समझ कर।

और छ महीने बाद बीरबल अपनी पत्नी के साथ बैठकर दोनों बेटों के साथ उनके बीवी बच्चों को बुलाकर उनकी छ महीने की कमाई देखकर कहता है "आलसी महेंद्र ने छ महीने में इतना कमाया कितना शायद रामजी लाल एक साल में भी नहीं कमा पाता होगा ऐसा इसलिए हुआ यह समय पर दुकान खोलता समय पर दुकान बंद करता था, क्योंकि इसके अंदर रामजी लाल जैसे पैदल देर से घर पहुंचने का डर नहीं था और दूसरे तीसरे दिन दुकान बंद करके दुकान का सामान लेने थोक बाजार जाने से भी दुकान की आमदनी को जो नुकसान होता था, वह नौकर रखने से खत्म हो गया था।

"और दुकान में सामान न होने की वजह से कोई ग्राहक दुकान से लौटकर वापस भी नहीं जाता था इससे भी दुकान कि आमदनी बढ़ गई थी, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि आलसी महेंद्र ने अनजाने में समय का सदुपयोग किया।

"और रामजी लाल ने अच्छी फसल पैदा करके अच्छी कमाई, इसलिए की क्योंकि खेत में अब चार नहीं पांच लोग मेहनत कर रहे थे, इससे यह फायदा हुआ चार लोग जिस काम को करने में जितना समय बर्बाद करते थे, वह समय पांच लोगों की वजह से बचने लगा और महेंद्र के चारों बेटे अपने को प्यारी संतान नहीं मां-बाप की आमदनी का जरिया समझते थे, वह अपने ताऊ रामजी लाल की वजह से अपने को घर कि प्यारी संतान समझने लगे थे, क्योंकि रामजी लाल उनके साथ पूर्वजों की जमीन पर ऐसे खेती कर रहा था, जैसे वह अपने बच्चों के साथ काम कर रहा हो और बूढ़े राम जी लाल से  ज्यादा चारों जवान लड़को ने खेत में मेहनत कि।

"अब तक अगर तुम सब मेरी बात नहीं समझे तो समझता हूं, मैंने आज तुम्हें नौलखे हार से भी बहुमूल्य समय के सदुपयोग करने का ज्ञान दिया है।"

अपने माता-पिता कर दिया ज्ञान पाकर दोनों बेटों और उनके बीवी बच्चों के जीवन में खुशियां आ जाती है।

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3 Comments

Gunjan Kamal

22-Nov-2023 03:10 PM

👏🏻👌

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Gunjan Kamal

22-Nov-2023 03:09 PM

👏🏻👌

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Reena yadav

21-Nov-2023 06:39 PM

👍👍

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